मंगलवार, 15 सितंबर 2009

चीन के कितने टुकरे हो सकते है (हाउ मानी पार्ट्स कैन बे दिविदेद ऑफ़ चाइना)

चीन नाम का कोई रास्ट्र या देश है । इस बात पर हमेशा से ही मुझे शंका रही है। जब से मैंने यह जाना है की चीन में माओवाद, कम्युनिस्ट का हिंसक समाजवाद का शासन है । तब से मैं चीन को एक स्वतंत्र रास्ट्र या देश नही मान रहा हूँ। वास्तव में तो चीन के लोग स्वतंत्र रास्ट्र की मांग कर रहे है। '' अभिबैक्ति या विचार की स्वंतंत्रता ही मनुष्य की वास्तविक स्वंतंत्रता है । " चीन में मीडिया व जनता को अभिबैक्ति की कोई स्वंतंत्रता नही है। चीन की मीडिया वहां की सभी समाचार नही बता पाती है। वहां की जनता शोषण के विरूद्व आवाज नही उठा पाती है। और जो उठाते है वे कुचल दिए जाते है। अब आप जानना चाह रहें होंगे की कैसे चीन की जनता परतंत्र है। हाल ही में उइगेर मुस्लिमोने शोषण के विरूद्व आवाज उठाई थी तो चीन ने उसे कुचल डाला। वहां की जनता को अपने दवारा कमाए गए धन पर कोई अधिकार नही होता है। कम्युनिस्ट सरकार उनके धन में अधिकार का निधारण करती है। जैसे कीभारत में कोई व्यक्ति १० किलो गेंहू का उत्पादन करता है तो उस का १० किलो गेहूं में उनका अधिकार होता है। लेकिन यदि चीन में, कोई व्यक्ति १० किलो गेहूं का उत्पादन करता है तो उस व्यक्ति का १० किलो गेहूं में उसका अधिकार नही होता है। वहां की सरकार उनके अधिकार का निर्धारण करती है। इस कारण वश चीन के कृषक वर्ग चीन से स्वतंत्र होना चाह रहें है। चीन में करोडो जनता आजाद होना चाह रहे है। चीन में करोडो की आबादी है। शोशानयुक्तदेश से स्वंतंत्रता की मांग कर रहे है। इस विद्रोह के अनुसार चीन के करोडो टुकड़े हो जायेंगे। हाल ही में चीन के यक वेबसाइट द्वारा कहा गया यदि चीन चाह ले तो भारत के बीस टुकरे हो जायेंगे। चीन ने इसे व्यक्तिगत टिप्पणी कही। आप यह जान ले की चीन सरकार के इच्छा के विरूद्व वहां का इन्टरनेट नही चलती है यदि वह टिप्पणी व्यक्तिगत थी तो मैं बताना चाहता हूँ - यक कहावत है " पागल का पागलपन चढ़ता है तो सबसे पहले वह अपने घर में आग लगाता है। " इस प्रकार जिस चीनी नागरिक ने भारत के विरूद्व एसी टिप्पणी की वह चीन के चालीस टुकड़े करने को सोच रखाहोगा। क्योंकि क्षेत्रफ़ल की अनुशार चीन भारत से बड़ा है। इसलिय वह चीनी नागरिक चीन के ज्यादा टुकड़े karegaa।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सराहनीय लेख,
    जरा हिंदी की शुद्धता पर ध्यान दें!

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  2. लिखते लिखते हिन्दी सुधर जाएगी..पर बहुत खूब लिखा है। आगे भी अच्छे की उम्मीद करते हैं।

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